Thursday, October 15, 2009

राहुल का स्वयंवर और हिन्दी का बलात्कार

यह क्या हो रहा है
इस भारत में क्या भाषा और संस्कृत बची है
यह टेलिविज़न पे निर्माता ने क्या अजीब व्यूहरचना रची है
अब तक सुना था दुल्हे की बरात और दुल्हन की डोली सजी है
पर यह क्या
Sअम्युक्ता का स्वयंवर सुना था और राखी का भी
क्या ३७७ के बाद राहुल को वर या दुल्हे की ज़रूरत पड़ी है
शायद कोलोर्स की गलती है
यदि ढूँढने चले है वर
तो कन्याओं के क्यो कुतर रहे है पर
लड़के बुलवाओ और लगाओ
बिंदिया उनके मुख और बोरला लगाओ उनके सर
अरे मूर्खों
हीरोइनों का करते थे
यू पी बिहार में अबलाओं का किया
हम डरते थे देखने को
हमने अपना मुँह सिया
पर क्यों रोज़ रोज़ हिन्दी का करते हो बलात्कार
अरे कुछ तो खाओ रहम बच्चों पे सरकार
अगर करना ही है तो नाम रखो मुँह दिखाई
नही तो लड़कियों की जगह लड़को की करो विदाई
कलकत्ता
2009-10-17

Saturday, October 3, 2009

PUJA SPECIAL FOR MY NRI BONG'S TO PONDER

यह कविता, मैंने दुर्गा पूजा के अवसर पर, उन बंगला बोंधुओं के लिए लिखी है, जो पूजा पर विदेश में अपनी माँओं से दूर हैं. उन्हें सप्तमी पर कैसा लगा होगा? मैंने एक दृश्य खींचा है. आशा करता हूँ की इसे पढ़कर आप इसे सराहेंगे. मैं माफ़ी चाहूँगा अगर आप में से कुछ रो पड़े तो , मैंने एक संदेश दिया है बोंधू ,लौट आइये , घर की रोटी और माँ का प्यार सबसे बड़ा सुकून हैं ,आप जिसे अच्छी जिंदगी कहते हैं उससे आपको कोलेस्ट्रोल बीपी डायबिटीज़ और फिजूल खर्ची के सिवा कुछ ज्यादा नही मिलता
ज़रा सोचिये ?
इक पाती बेटे की माँ के नाम
सप्तमी पर
पूजा पर है लिक्खी पाती,
मुझको आज के दिन है आती,
याद हमेशा सुबह तुम्हारी,
सांवली सलोनी शक्ल प्यारी-प्यारी,
क्यों न खनके चूड़ी चाबी,
रखती क्यों ना यहाँ कुलाबी ,
जेवर क्या ना पह्नाओगी,
भोर पे गीत क्या ना गाओगी,
क्या ना होगा धुप दिया-बत्ती,
चाधाओगी की नहीं पान की पत्ती,
फल-फूल मिष्टी-सुपारी
ना खिलऊगी आलू भाजा लूची गिल्लोरी
ना वो सिन्दूर ना आलता
यह कैसा मुगालता
न गूंजती हंसीं किलकारी
न खुलेगी धाकाई भरी अलमारी
तुमने मुझे काहे दी भिक्षा
क्या इसी दिन के लिए दी थी शिक्षा
माँ काहे की मैंने इतनी पढ़ाई
न ले सका शुभ आशीष जब तुम्हारी याद आई
परदेस की श्रृष्टि में न भ्रिश्ती न मिष्टी
ऐ सी की हवा है तेरी गरम साँसे नहीं
शोवेर की बोछार गर्म
ठण्डी कभी न बही
ना हाथ गाड़ी न ट्राम भोपू
गर्म कोट क्या दे सकता है
तेरे सीने की गर्मी
क्या बर्गर पिज्जा में हैं
तेरी रोटी की नरमी
माँ मुझसे अब न सहा जाता
जब चिकागो पंडाल का संदेसा आता है
मुझे अब भी बेहाला का पंडाल भाता है
मेरा मन आज भी रोबिन्द्र शोंगीत गाता है
जल्द ही मुन्ना तुम्हारी गोद में सोयेगा
मुन्नी का कोमल हाथ
तेरी सूई में धागा पिरोयेगा
बहू तुम्हे बाल संवारेगी
बस एक हफ्ते में
तेरा बेटा
वापस लौट आयेगा
२५/०९/२००९ सप्तमी कलकत्ता
हाँ एक मैं सिर्फ़ ९० दिनों से कलकत्ते में हूँ
मलयाली हूँ राजस्थान में पला बढ़ा
बंगाली नही

love mera hot hit soniye

this one is a song set to the music of hindi song love mera hit hi soniye bye mika
the topic of course is the same, banning high heels
THE HEELS MAKE ME FIT FIT OH YEAH
I dont like your adamancy even a little bit,
Ca'nt take this. Any of your bullshit,
Wanna wear my heels,
Coz i wanna be a super hit
A A A AH AH AA AAH.
Do'nt stop me Wearing ..
Heppy heppy high heels,
Stilleto gives me..
supe duper sexy feel,
You can ogle @me..
you can get all the real thrill,
Steal a look @ me..
you can make a fast kill,
A A A AH AH AA AAH
Come on HEY!
Lets boogey
dont give me
look thats spookey
come on HEY !
just hold me
lets just play
REAL HOOKEY
The heel makes me fit-fit o yeah
come on lets meet-meet o yeah
you are so sweet-sweet o yeah
lets sing this geet-geet geet-geet
:-d
09/23/2009

keeled by the heel

this one is written on the subject, british labour ministry abou to ban heels @ work

&

how women would react

:d

keeled by the heel

We need a small favour,

From the powers @ Ministry of Labour,

Dont act like a sob,

like an ostrich/corn in a cob,

Men need women of different flavour.

LO! Behold ,

Why did you turn so cold,

Have all the men turned into parish,

Do you find our feet so garish?

Why ? do our raised legs seem so nghtmarish.

Oh Lord! . come out of the church,

The men turned cold left in a lurch,

Their eyes need stilleto's & cleavages,

They have been ogling @ us for ages,

Allow us to wear heels wont you?

You dont want em to look like Monkey's i cages

22/9/2009